...

Blog Details

क्यों रोना पड़ता है धरती को, हम जब जब उत्सव मनाते !

जन्मदिन मनाने की परंपरा प्रचीन है। दुनिया भर  में लोग इस दिन अपने सगे सम्बन्धियो के साथ खुशिया मनाते हैं। मानना यह भी है कि इस दिन लोग अपनी बढ़ती आयु के साथ अपने जीवन के उद्देश्य के बारे में सोचते है और अपने जीवन को बेहतरी की ओर ले जाने का प्रण लेते है और हमें आगे बढ़ाने में जिनका भी योगदान रहा उन्हें आभार प्रकट करते है।

क्या यही तरीका है धरती माँ को आभार प्रकट करने का ?

आज लोग जन्मदिन के कई दिनों पहले  से यह चर्चा करने लगते है कितने और कैसे केके होंगे ,सजावट का साजो सामान कैसा होगा, ये सारी तैयारियां हम हफ्तो पहले करने लगते है ताकि उस शाम को दिल खोलकर कचरा कर सके और अश्चर्य तो  इस बात का है की यह उत्सव घर तक सिमित नही है, औसतन लोग ये लगभग सब सर्वजनिक स्थान पर करते है और इसे करके बड़ा है गौरवान्वित महसूस करते है। और यदि हम इस पद्धति को देखे तो ये बहुत ही नयी है I कुछ दशक पहले  हम  ऐसा कुछ भी नहीं करते थे । लेकिन आप से हमारा सवाल यह है कि यदि हम इतने कम समय मे ऐसी उद्देश्यहीन परम्पराओ को इतनी गुणता से स्वीकार कर सकते है तो क्यों नहीं ? हम एक सतत और पुनर्योजीआदत को आपना सकते और इसे अपनाने  की वजह शायद ही किसी को बतानी पड़ेI
तो आइये हम इस जन्मदिन के शुभ अवसर पर एक वृक्ष लगाने तथा उसके परिपक्व होने तक उसका ख्याल रखने का प्रण लेते हैं |